Friday 14 October 2011

अच्छा स्वास्थ्य किसे कहते हैं?

एक कहावत है -

       "प्रथम सुख निरोगी काया"

सांसारिक सुखों की गिनती में मानव का उत्तम स्वास्थ्य ही सर्वोपरि है.अच्छे स्वास्थ्य से वंचित रहकर जीवन के जीने में कोई आनंद नहीं रह जाता. अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का शरीर हर समय हल्का-फुल्का और मन में प्रसन्नता व्याप्त रहती है. अच्छे स्वास्थ्य की दशा में  व्यक्ति स्वच्छंद  रूप से उछलता, कूदता  है, मुस्कुराता है, उत्साह और चाव से इधर उधर खूब घूमता है. हर काम  तेजी और फुर्ती से करता है. जिन्दादिली और हौसला उसमें भरपूर होता है.

हमारा शरीर अनेक धातुओं से बना है है, जैसे  रस, रक्त, हड्डियां, मांस पेशियाँ, स्नायु, चर्बी वगैरह. इन सबमें एक संतुलन कायम रहना चाहिए. इनका संतुलन ही स्वास्थ्य है. महर्षि सुश्रुत ने कहा है:-

"समदोशः समग्निश्च, समधातु मलक्रियः
प्रसंनात्मेंद्रियाम्नाह स्वस्थ इत्यामिधेयते.

जिस व्यक्ति के दोष(वात -पित्त-कफ्फ) अग्नि(जठराग्नि) धातुएं  संतुलित हैं और मल विसर्जन क्रिया सही है, जिसकी आत्मा, इन्द्रियाँ और मन प्रसन्न रहते हैं, वही व्यक्ति पूर्णतया स्वस्थ है.

अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो बातें अत्यंत अवश्यक हैं. पहली यह की व्यक्ति की पाचन क्रिया बिलकुल ठीक व दुरुस्त हो. दूसरी यह की उसका मलमूत्र नियमित रूप से शरीर से बहार विसर्जित होता रहे. पाचन क्रिया ठीक व सही होने का अर्थ यह है कि व्यक्ति जो कुछ भी खाए, वह पुरे तौर पर हजम होकर शरीर में घुल मिल जाये अर्थात थोड़ा बहुत जो खाया पिया है, वह अंग को लगे ताकि शरीर कि आवश्यकता के अनुसार पूरा पोषण और शक्ति मिलती रहे.

मलमूत्र विसर्जन ठीक होना इसलिए  आवश्यक है क्योंकि  कि यह शरीर का कूड़ा करकट होता है जिसमें गंदगी भरा माद्दा भरा होता है. इस माद्द्दे और गंदगी के विसर्जित होते रहने पर ही शरीर शुद्ध, स्वस्थ और स्वच्छ रह सकता है. रोगों के बारे में यह कटु सत्य है कि पेट कि खराबी कि कारण ही इनका जन्म होता है. चाहे वह पाचन क्रिया ठीक न होने से हो या अपच से.

स्वास्थ्य रच्छा सम्बन्धी उपाय और नियम आदि जानने के लिए हमें अपने शरीर  के बारे में भी जानना अत्यंत आवश्यक है. यदि आप व्यापारी हैं तो व्यापर के सम्बन्ध में जानकारी हासिल करने कि कोशिश करते है कि फलां माल कहाँ से आता है, कहाँ से सस्ता पड़ता है. बाजार भाव क्या है और आप किस तरह मुनाफा कमा सकते हैं. हर पेशे का व्यक्ति अपने पेशे की गहराईऔर बारीकियों का पूरा पूरा ज्ञान हासिल करता है, लेकिन क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है की हम अपने निज के शरीर के बारे में कुछ ही नहीं जानते हैं? उस शरीर के सम्बन्ध में हम बिलकुल अंधकार में रहते हैं जिसे लेकर हमारे समस्त जीवन का व्यापर चलता है. अपने शरीर के बारे में हमारा यह अज्ञान बहुत बार हमारे बुरे स्वास्थ्य और रोगी होने का कारण होती है. अतः हमें अपने शरीर के बारे में मुख्य और मोटी बातें जान लेना अत्यंत आवश्यक हैं.

पाठकों, योग के सम्बन्ध में और अधिक जानकारी अगले अंक में...


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